पीरियड्स के दर्द को कम करने के लिए योग

पीरियड्स के दर्द को कम करने के लिए योग 

Yoga to Reduce Period Pain

योग शरीर को स्ट्रेच करके, आराम देकर और मजबूत करके पीरियड्स के दर्द से राहत दिलाने में बहुत कारगर होता है, खास तौर पर कोर, पेल्विस और पीठ के निचले हिस्से को। मासिक धर्म के दर्द और तकलीफ को कम करने में मदद करने के लिए यहाँ कुछ योग आसन दिए गए हैं:

1. बाल मुद्रा (बालासन):
  • घुटने टेकें और अपनी एड़ियों पर वापस बैठ जाएँ, फिर आगे की ओर झुकें, अपनी बाहों को अपने सामने या अपने शरीर के साथ फैलाएँ।
  • यह आसन आपकी पीठ के निचले हिस्से को धीरे से खींचता है और तनाव से राहत देता है।



2. बिल्ली-गाय मुद्रा (मार्जरीआसन-बिटिलासन):
  • हाथों और घुटनों के बल पर बैठें। सांस लें और अपनी पीठ को मोड़ें, यानी गाय मुद्रा में आ जाएं। 
  • सांस छोड़ें और अपनी रीढ़ को छत की ओर मोड़ें, यानी बिल्ली मुद्रा में आ जाएं। कई बार दोहराएं।
  • यह क्रिया रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करती है और आपकी पीठ के निचले हिस्से और पेट में तनाव को कम करती है।


3. कोबरा मुद्रा (भुजंगासन):
  • अपने पेट के बल लेट जाएँ, अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे रखें और अपनी छाती को धीरे से ऊपर उठाएँ।
  • यह मुद्रा पीठ के निचले हिस्से में तनाव को दूर करती है और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है।



4. रिक्लाइनिंग बाउंड एंगल पोज (सुप्त बद्ध कोणासन):
  • अपनी पीठ के बल लेटें। सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़कर एड़ी को पेल्विक की ओर स्‍ट्रेच करें।
  • पैरों के तलवों को एक साथ लाएं। एड़ियों को पेल्विक के जितना हो सके पास लाएं।
  • यह आरामदायक मुद्रा आपके कूल्हों को खोलती है और पैल्विक दर्द को दूर करने में मदद करती है।


5. ब्रिज पोज (सेतु बंधासन):
  • अपनी पीठ के बल लेटें, अपने घुटनों को मोड़ें और अपने कूल्हों को ऊपर उठाएँ, अपने पैरों को चटाई पर दबाएँ।
  • यह मुद्रा पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत करती है और पेट में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है।




6. बैठे हुए आगे की ओर झुकना (पश्चिमोत्तानासन):
  • अपने पैरों को फैलाकर बैठें और अपने पंजों की ओर आगे की ओर पहुँचें।
  • यह खिंचाव पीठ के निचले हिस्से को आराम देता है और पेट की तकलीफ को कम करता है।


Tips:

  • तनाव को कम करने में मदद के लिए प्रत्येक मुद्रा के दौरान धीमी, गहरी साँस लेने का अभ्यास करें।
  • धीरे-धीरे आगे बढ़ें और अपने शरीर की आवाज सुनें, खासकर अगर आपको तेज ऐंठन हो रही हो।
  • बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने पर योग न करें। 
  • कठिन आसनों से बचना चाहिए और आरामदायक योगसनों का अभ्यास करें। 
  • अभ्यास करते समय तनाव न लें। 

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  • उचित देखभाल   
  • रोगी को शिक्षा और आत्म-प्रबंधन
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